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अश्वघोष कालीन भारत

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अश्वघोष, बौद्ध महाकवि तथा दार्शनिक थे। बुद्धचरितम् इनकी प्रसिद्ध रचना है। कुषाणनरेश कनिष्क के समकालीन महाकवि अश्वघोष का समय ईसवी प्रथम शताब्दी का अन्त और द्वितीय का आरम्भ है।

अश्वघोष कालीन भारत- Author: प्र. अंगनेलाल

Description

उनका जन्म साकेत (अयोध्या) में हुआ था। उनकी माता का नाम सुर्णाक्षी था। चीनी परम्परा के अनुसार महाराज कनिष्क पाटलिपुत्र के अधिपति को परास्त कर वहाँ से अश्वघोष को अपनी राजधानी पुरुषपुर (वर्तमान पेशावर) ले गए थे। कनिष्क द्वारा बुलाई गई चतुर्थ बौद्ध संगीति की अध्यक्षता का गौरव एक परम्परा महास्थविर पार्श्व को और दूसरी परम्परा महावादी अश्वघोष को प्रदान करती है। ये सर्वास्तिवादी बौद्ध आचार्य थे जिसका संकेत सर्वास्तिवादी “विभाषा” की रचना में प्रायोजक होने से भी हमें मिलता है। ये प्रथमतः परमत को परास्त करनेवाले “महावादी” दार्शनिक थे। इसके अतिरिक्त साधारण जनता को बौद्धधर्म के प्रति “काव्योपचार” से आकृष्ट करनेवाले महाकवि थे।